चला चल जीवन
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अनिल सिंहSynopsis
जीवन अपनी उज्ज्वल मुस्कान के साथ खुशी का एक कैनवास है और दुख के क्षणों में आंसुओं की एक नदी है। माँ की गोद में, वह प्यार का पालना बन जाता है; विश्वासघात के जंगल में, यह एक घातक साँप में बदल जाता है। कौन जाने इसके आगोश में क्या छिपा है! "चला चल जीवन" जीवन को वैसा ही चित्रित करता है जैसा वह है! जीवन जन्म से शुरू होता है लेकिन मृत्यु के साथ समाप्त नहीं होता; यह परे की यात्रा करता है—शून्य से अनंत तक की यात्रा! मन को प्रशिक्षित किया जा सकता है, प्रतिक्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है, व्यक्ति को ढाला जा सकता है, लेकिन भावना हार्दिक होती है। इसकी धड़कन सहज है और धड़कन में अनुभूति भरी है। जीवन अपने विचारों में सौन्दर्य की तूलिका से मानवता को छूता है। पुस्तक की कविताएँ लेखक की कल्पना के असीम आकाश के पंख हैं। वह अपनी भावनाओं को अपनी कलम के भटकते बादलों पर तैरने देता है।